श्री इलयनर वेलूर मुरुगन मंदिर , कांचीपुरम
यह मंदिर एक १००० वर्ष पुरातन है जो कांचीपुरम (वलजाबाद से ८ किलोमीटर की दूरी पर और कावनथंडलम से २ किलोमीटर तक है ) दुसरे मुरुगन मंदिरो से अलग यहाँ देव कार्तिकेय/मुरुगन की दो सहचरियां है - वाली और देवसेना। यहाँ ये एक ही रूप में है - गजवल्ली। इस गाव का नाम वेल (भाला) से पड़ा है।
इस स्थान पर एक तीर्थ स्थल है जो श्री मुरुगन के वेल (भाले) के लिए है और आज तक कोई यह पता नहीं कर पाया है की यह भाला कितनी दूर तक धसा हुआ है। यह ६ फुट ऊँचा है और इसका नाम बालसुब्रमनिया है। इस मंदिर के बारे में संत अरुनगिरीनाथर ने तिरुपुगाज़ः में गाया है।
नौकरी तथा व्यवसाय में समस्याओ से जूंझ रहे लोग यहाँ पूजा अर्पण करते है।
यह मंदिर एक १००० वर्ष पुरातन है जो कांचीपुरम (वलजाबाद से ८ किलोमीटर की दूरी पर और कावनथंडलम से २ किलोमीटर तक है ) दुसरे मुरुगन मंदिरो से अलग यहाँ देव कार्तिकेय/मुरुगन की दो सहचरियां है - वाली और देवसेना। यहाँ ये एक ही रूप में है - गजवल्ली। इस गाव का नाम वेल (भाला) से पड़ा है।
इस स्थान पर एक तीर्थ स्थल है जो श्री मुरुगन के वेल (भाले) के लिए है और आज तक कोई यह पता नहीं कर पाया है की यह भाला कितनी दूर तक धसा हुआ है। यह ६ फुट ऊँचा है और इसका नाम बालसुब्रमनिया है। इस मंदिर के बारे में संत अरुनगिरीनाथर ने तिरुपुगाज़ः में गाया है।
नौकरी तथा व्यवसाय में समस्याओ से जूंझ रहे लोग यहाँ पूजा अर्पण करते है।
श्री इलयनर वेलूर मुरुगन मंदिर, कांचीपुरम
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श्री इलयनर वेलूर मुरुगन मंदिर गोपुरम, कांचीपुरम |
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