अंगराई परिवा -श्री गोविंदा दामोदर स्वामिगल के मंत्र संग्रह
बोहोत से लोग ऐसा मन चुके है की आज कल के समय में सच्चे संत नहीं केवल ढोंगी ही मिलते है। परन्तु यह सच्चाई नहीं है। आज भी हमारे बीच कुछ ऐसे जो सन्तू की जीवनशैली का उदहारण है। वे अपने गुण गान नहीं गाते न ही वे मीडिया द्वारा जाने पहचाने है।
एक ऐसे व्यक्ति है - श्री गोविंदा]दामोदर स्वामिगल। इन्हे अंगाई परिवा या ट्रिप्लीकं पेरियावा भी कहते है। उनकी जीवनी नीचे दिए गए तमिल लेख में पढ़िए :-
www.scribd.com/doc/159830269/Angarai-Periyava
बोहोत से लोग ऐसा मन चुके है की आज कल के समय में सच्चे संत नहीं केवल ढोंगी ही मिलते है। परन्तु यह सच्चाई नहीं है। आज भी हमारे बीच कुछ ऐसे जो सन्तू की जीवनशैली का उदहारण है। वे अपने गुण गान नहीं गाते न ही वे मीडिया द्वारा जाने पहचाने है।
एक ऐसे व्यक्ति है - श्री गोविंदा]दामोदर स्वामिगल। इन्हे अंगाई परिवा या ट्रिप्लीकं पेरियावा भी कहते है। उनकी जीवनी नीचे दिए गए तमिल लेख में पढ़िए :-
www.scribd.com/doc/159830269/Angarai-Periyava
उन्होंने अपने जीवन काल में श्री रामायणं और श्री भगवदम पर कांची के महा पेरियावा सामने कई भाषण किये। आर्थिक अभाव के होते हुए भी भाषणो को निशुल्क रखा। सन २००४ में उन्होंने अपना शरीर त्याग कर महा समाधी प्राप्त की। उनकी समाधी पज़्हूर , त्रिची के पास , करूर के मार्ग पर है
नीचे दिए गए छोटे से लेख में कुछ मंत्र है जो रोग मुक्ति , आर्थिक समस्याएं , नौकरी इत्यादि में मदत कर सकते है। अधिक जानकारी के लिए क्लिक करे -
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