भारत में स्थित मंदिर - उत्तीरामेरुर , तिरुपुलीवनम , कादम्बर कोइल
उत्तीरामेरुर
चेन्नई से वंदवासी के मार्ग पर उत्तीरामेरुर स्थित है। इस स्थान का उल्लेख प्राचीन साहित्यो में किया गया है। इस शहर में कुछ मंदिरों में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के नियंत्रण में हैं। यहाँ का सबसे प्रसिद्ध विष्णु मंदिर ४ स्तरीय है। इस स्थान पर देव खड़े,बैठे तथा शयन मुद्रा में है। वास्तु तथा शिल्पकला में रूचि रखने वालो के लिए इस मंदिर का भ्रमण ज़रूरी है।
तिरुपुलीवनम
इस मंदिर के स्वयंभू मूर्ति का नाम व्यग्रपुरीश्वरर है। व्यग्राम का संस्कृत में अर्थ है बाघ और तमिल में पुलि। इसीलिए इस जगह का नाम थिरु-पुलि-वनाम है।
विशेषतायें :
१) दक्षिणामूर्ति के यहाँ ४ की जगह ६ शिष्य है। एक शेर भी इनके साथ बैठा है।
२) अष्ट भुजा दुर्गा की एक दुर्लभ मूर्ती यहाँ है।
३) इस मंदिर के बाहरी प्रहार में ,व्यग्रपाथर की महा समाधी है। पर और भी कई मंदिरो में इस संत की समाधि के बारे में कहा जा चूका है। इसीलिए किसीको इस बात के बारे में पता नहीं है।
इस शिव मंदिर को निश्चित रखरखाव और समर्थन इस ज़रूरत है क्युकी इसकी अवस्था जीर्ण हो चुकी है। यह मंदिर वंदवासी से कांचीपुरम के मार्ग पर है जो उत्तीरामेरुर से ५ किलोमीटर है।
मंदिर दौरे की कालावधि ८ से ११ और ५ से ७ तक
संपर्क : श्री गुणशेखर गुरुक्कल और संतोष कुमार गुरुक्कल (दूरध्वनी - 9790169012)
उत्तीरामेरुर
चेन्नई से वंदवासी के मार्ग पर उत्तीरामेरुर स्थित है। इस स्थान का उल्लेख प्राचीन साहित्यो में किया गया है। इस शहर में कुछ मंदिरों में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के नियंत्रण में हैं। यहाँ का सबसे प्रसिद्ध विष्णु मंदिर ४ स्तरीय है। इस स्थान पर देव खड़े,बैठे तथा शयन मुद्रा में है। वास्तु तथा शिल्पकला में रूचि रखने वालो के लिए इस मंदिर का भ्रमण ज़रूरी है।
विष्णु मंदिर ४ स्तरीय |
उत्तीरामेरुर विष्णु मंदिर |
उत्तीरामेरुर विष्णु मंदिर प्रवेश द्वार |
तिरुपुलीवनम
इस मंदिर के स्वयंभू मूर्ति का नाम व्यग्रपुरीश्वरर है। व्यग्राम का संस्कृत में अर्थ है बाघ और तमिल में पुलि। इसीलिए इस जगह का नाम थिरु-पुलि-वनाम है।
विशेषतायें :
१) दक्षिणामूर्ति के यहाँ ४ की जगह ६ शिष्य है। एक शेर भी इनके साथ बैठा है।
२) अष्ट भुजा दुर्गा की एक दुर्लभ मूर्ती यहाँ है।
३) इस मंदिर के बाहरी प्रहार में ,व्यग्रपाथर की महा समाधी है। पर और भी कई मंदिरो में इस संत की समाधि के बारे में कहा जा चूका है। इसीलिए किसीको इस बात के बारे में पता नहीं है।
इस शिव मंदिर को निश्चित रखरखाव और समर्थन इस ज़रूरत है क्युकी इसकी अवस्था जीर्ण हो चुकी है। यह मंदिर वंदवासी से कांचीपुरम के मार्ग पर है जो उत्तीरामेरुर से ५ किलोमीटर है।
मंदिर दौरे की कालावधि ८ से ११ और ५ से ७ तक
संपर्क : श्री गुणशेखर गुरुक्कल और संतोष कुमार गुरुक्कल (दूरध्वनी - 9790169012)
दुर्लभ दक्षिणामूर्ति |
मंदिर शीर्ष दृश्य |
मंदिर के खंभे |
मंदिर परिवेश |
तिरुपुलीवनम मंदिर |
तिरुपुलीवनम मंदिर परिवेश |
तिरुपुलीवनम मंदिर मंडप |
अष्ट भुजा दुर्गा |
translated by Ananya
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